
“आज गड़ेगा होली का डांडा”
होली का डांडा रोपण के साथ थम जाते है शुभ काम, शुरू होती है मस्ती
बलवाड़ा – होली से ठीक एक महीने पहले होली का डांडा रोपण होता है | माघ माह की पूर्णिमा के दिन शुभ मुहूर्त में विधि विधान से होली का डांडा रोपा जाता है | होली का डांडा रोपण के साथ ही इस त्यौहार की मस्ती का आगाज हो जाता है |
क्या कहती है धार्मिक मान्यता
परम्परा के अनुसार, होली का आगाज डांडा रोपण से होता है | आज भी यह परम्परा कई जगह निभाई जाती है | जिस स्थान पर होली दहन होता है वहां एक बड़ा सा डंडा लगाया जाता है। यह डंडा भक्त प्रहलाद का प्रतीक होता है | होली फाल्गुन में पूर्णिमा को मनाई जाती है |
टल जाते है शुभ कार्य
होली फाल्गुन की पूर्णिमा को मनाई जाती है | होली दहन से एक महीने पहले कोई शुभ कार्य एवं विवाह नहीं होते | होली का डंडा रोपण के साथ ही शुभ कार्यों और विवाह पर विराम लग जाता है | होलिका दहन के बाद शुभ काम शुरू होते है |
होली की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार हिरणकश्यप भक्त प्रहलाद का वध करने के लिए अपनी बहन होलिका के साथ अग्नि स्थान में बैठा देता है | भगवान के आशिर्वाद से प्रहलाद बच जाते है और होलिका जल जाती है | होलिका को अग्नि में नहीं जलने का वरदान प्राप्त था |
